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प्रश्न (कविता)


 

क्यों तूने संसार बनाया?

क्षणिक मात्र संसर्ग बनाकर

शांति क्रांति का मेल मिलाकर

जीवन देकर जीवन लेकर

ंजीवन में जीवन उलझाया

क्यों तूने संसार बनाया?


तू ही तू है जब सब में तो

पाप पुण्य कैसा अन्तर को

नरक स्वर्ग पारितोषिक दंड क्यों

लख

क्यों तूने संसार बनाया?

रही कमी थी क्या तुम में जो

करनी इच्छा पड़ी पूर्ण की

किस कारण आखिर यूं छिपकर

ममता का यह जाल बिछाया?

क्यों तूने संसार बनाया?


हिन्दी दैनिक ‘स्वतंत्र भारत‘ लखनऊ दिनांक 4 जून 1961, पृष्ठ - 2